some wise guy in England has set up a "young people repellent" - something called a "mosquito" - read a BBC piece about it This "mosquito" thingy emits a shrill annoying noise that is audible to only the young ... the irritating noise is supposed to keep the trouble-making teenagers and other young people away
Note: It is "SUPPOSED" to keep the young away ... but no one told the young about this supposedly intended purpose ... so, the young have put the mosquito noise to good use ... this economist piece points out
British teenagers have already shown how the table can be turned. Using mobile phones to record the silent-to-many output of the Mosquito machines they have used the sound to disrupt classes by irritating fellow students while teachers remain oblivious. And in schoolrooms, where mobiles are banned, the sound is a useful semi-private ringtone. In an already noisy world an arms race of sound is not to be welcomed.
Tuesday, February 19, 2008
Friday, February 08, 2008
Rahen na Rahen Hum - Remembering Majrooh
I was moved by the beauty of this Majrooh Sultanpuri song from the 1966 movie "Mamta".
Thank you CP, for pointing me to the "tehalka" piece on Majrooh.
You can hear the song "रहें ना रहें हम" from the "Dishant" website.
Here's my transcript of the lyrics, enjoy -
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
मौसम कोई हो, इस चमन में, रंग बनके रहेंगे हम ख़िरामा
चाहत कि खुशबु , यूँ हि ज़ुल्फ़ों से उड़ेंगी, ख़िज़ा हो या बहाराँ
युहीं झूमते, युहीं झूमते और, खिलते रहेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
खोये हम ऐसे, क्या है मिलना - क्या बिछड़ना, नही है याद हमको
कूचे मे दिल के, जब से आए, सिर्फ़ दिल कि ज़मीं है, याद हमको
इसी सरज़मीं, इसी सरज़मीं पे, हम तो रहेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
जब हम न होंगे, जब हमारी, ख़ाक पे तुम रुकोगे चलते-चलते
अश्कों से भीगी चांदनी मे, इक सदा सी, सुनोगे चलते-चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम, तुमसे मिलेंगे
बन के काली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
Thank you CP, for pointing me to the "tehalka" piece on Majrooh.
You can hear the song "रहें ना रहें हम" from the "Dishant" website.
Here's my transcript of the lyrics, enjoy -
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
मौसम कोई हो, इस चमन में, रंग बनके रहेंगे हम ख़िरामा
चाहत कि खुशबु , यूँ हि ज़ुल्फ़ों से उड़ेंगी, ख़िज़ा हो या बहाराँ
युहीं झूमते, युहीं झूमते और, खिलते रहेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
खोये हम ऐसे, क्या है मिलना - क्या बिछड़ना, नही है याद हमको
कूचे मे दिल के, जब से आए, सिर्फ़ दिल कि ज़मीं है, याद हमको
इसी सरज़मीं, इसी सरज़मीं पे, हम तो रहेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
जब हम न होंगे, जब हमारी, ख़ाक पे तुम रुकोगे चलते-चलते
अश्कों से भीगी चांदनी मे, इक सदा सी, सुनोगे चलते-चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम, तुमसे मिलेंगे
बन के काली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
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