I was moved by the beauty of this Majrooh Sultanpuri song from the 1966 movie "Mamta".
Thank you CP, for pointing me to the "tehalka" piece on Majrooh.
You can hear the song "रहें ना रहें हम" from the "Dishant" website.
Here's my transcript of the lyrics, enjoy -
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
मौसम कोई हो, इस चमन में, रंग बनके रहेंगे हम ख़िरामा
चाहत कि खुशबु , यूँ हि ज़ुल्फ़ों से उड़ेंगी, ख़िज़ा हो या बहाराँ
युहीं झूमते, युहीं झूमते और, खिलते रहेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
खोये हम ऐसे, क्या है मिलना - क्या बिछड़ना, नही है याद हमको
कूचे मे दिल के, जब से आए, सिर्फ़ दिल कि ज़मीं है, याद हमको
इसी सरज़मीं, इसी सरज़मीं पे, हम तो रहेंगे
बन के कली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
जब हम न होंगे, जब हमारी, ख़ाक पे तुम रुकोगे चलते-चलते
अश्कों से भीगी चांदनी मे, इक सदा सी, सुनोगे चलते-चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम, तुमसे मिलेंगे
बन के काली, बन के सबा, बाग़-ए-वफ़ा में ..
Friday, February 08, 2008
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